गरीब कलाकारों को रोजगार देकर सीमा सिंह ने उन्हें आत्मनिर्भर बनाया।
श्रेया शर्मा | पटना
दिल्ली में रह रही कुछ बिहारी कलाकार जब बोझा ढोने और मजदूरी करने के लिए विवश हो गई थीं, तब उन्हें मधुबनी कला की मुख्यधारा से जोड़ने का काम बिहार की सीमा सिंह ने किया। दो साल पहले बिहार के मधुबनी की रहने वाली सीमा ने इसकी शुरुआत की। इन दो सालों में सीमा ने लगभग 100 महिलाओं को न केवल रोजगार दिया, बल्कि उन्हें वो आत्मविश्वास दिया कि वो भी एक कलाकार हैं। सीमा सिंह ने दिल्ली से लेकर लंदन तक इन महिलाओं के आर्ट वर्क की प्रदर्शनी लगा चुकी हैं। सितंबर में वो लंदन में बिहार के फैब्रिक की प्रदर्शनी लगाने जा रही हैं। बिहार के मधुबनी और भागलपुर की भी महिलाओं को सीमा ने रोजगार दिया है। इसकी वजह से घर बैठे महिलाएं 6 से 7 हजार रुपए कमा लेती हैं। सीमा ने दो तीन साड़ियों से यह बिजनेस शुरू किया था। अब इन साड़ियों की संख्या हजारों में चली गई है। अनगिनत पेंटिंग्स, साड़ियां, दुपट्टे और कई अन्य सामान।
ठीक से बोल नहीं पाती थीं, अब दे रहीं ट्रेनिंग : सीमा बताती हैं कि दिल्ली की कुछ महिलाएं बोझ उठाने और मजदूरी करने पर विवश थीं। रोजगार की कमी और महंगाई के दौर में उनकी कला कहीं दब-सी गई थी। ये महिलाएं मधुबनी कला में निपुण थीं। उन्होंने कई कलाकारों के साथ काम किया था, लेकिन खुद का प्रोडक्ट नहीं तैयार किया था। इन महिलाओं को इकट्ठा कर ट्रेनिंग दी। कागज के साथ-साथ कपड़े और अन्य होमडेकोर आइटम पर हमने इनसे पेंटिंग कराई। सिर्फ पेंटिंग ही नहीं जो महिलाएं कभी ठीक से हिंदी भी नहीं बोल पाती थी वो आज दिल्ली के बड़े-बड़े कॉलेजों और स्कूलों में मधुबनी पेंटिंग को प्रोमोट कर रही हैं। बच्चों को ट्रेनिंग दे रहीं हैं और अपनी जीविका अपने कला से चला रही हैं। इन महिलाओं की उम्र 35 से 45 के बीच है।
वेस्टर्न कपड़ों पर पेंटिंग कर यूथ को भी करती हैं अट्रेक्ट
सीमा सिंह पेशे से पत्रकार रही चुकी हैं। उन्होंने बताया- मधुबनी पेंटिंग में हम सभी रंगों का इस्तेमाल करते हैं। आप कैसे भी पुराने कपड़े दे दीजिए उनमें रंगों का इस्तेमाल कर उसमें जान फूंक देंगी हमारी महिलाएं। काला, गुलाबी हो या लाल सबका इस्तेमाल कर हम उसके मायने बदल देते हैं। हर दिन नए नए प्रयोग करते हैं। सबसे खास बात है कि यूथ को आकर्षित करने के लिए हम वेस्टर्न कपड़ों पर भी पेंटिंग करते हैं। जिसे दिल्ली के लड़कियां काफी पसंद करती हैं।